स्त्री का चित्रण
जिस समाज में आज हम रह रहे हैं वहाँ स्त्री का चरित्र चित्रण करना बहुत ही मुश्किल हो गया, एक स्त्री स्वयं किसी दूसरी स्त्री की सहायता को लेकर अपने आप को बहुत ही असमंजस में महसूस करती है। चाहे हम किसी भी युग में जी रहे हो लेकिन स्त्री को लेकर हमारा विचारधारा आज तक परिवर्तित नहीं हुआ है। एक स्त्री की मानसिकता होती है, जिससे घर और बाहर का समाज निर्धारित होता है |यदि हम अपने घर में ही ऐसा माहौल रखे जहाँ पर लड़कियों को आदर मिले ,उनको शिक्षित किया जाए तो हमें नहीं लगता कि आने वाले कल स्त्री को किसी भी सम्मान के लिए लड़ना पड़ेगा। यह समाज कभी भी दो पहलू पर नहीं चल सकता जब तक बराबर का अधिकार नहीं होगा इस समाज में हमेशा ऊंच-नीच बना रहेगा तो यह सिर्फ़ पुरुष वर्ग का कर्तव्य नहीं है।
हर घर में जैसे कि हम देखते हैं अपने आसपास एक महिला ख़ुद अपनी बेटी को आगे बढ़ने से रोकती है, उसे पढ़ने से रोकती है | उसे अपने सपने देखने से रोकती है तो इसमें ग़लत सिर्फ़ वह महिला है लेकिन हम इसका सारा कुछ पुरुष पर डाल देते हैं |पुरुष मानसिकता भी सिर्फ़ अकेले पुरुष से बनती नहीं है कि महिलाओं का भी दिया हुआ देन है। हमे महिलाओं को मिलकर समाज को आगे बढ़ाना चाहिए,एक दूसरे को प्रोत्साहित करना चाहिए अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए जब एक महिला दूसरे महिला को अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेगी तो देश अपने आप आगे बढ़ेगा एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश आगे जाएगा महिलाओं का नाम देश के कोने कोने तक होगा।
मेरे जीवन में मेरी माँ का बहुत ही सहयोग रहा है आगे बढ़ने में, अगर मेरी माँ मेरे जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित नहीं करती तो यह ज़िन्दगी बहुत ही मुश्किल भरी होती| माँ का बहुत सहयोग होता है जीवन में आगे बढ़ने के लिए और मैंने अपने आसपास के माहौल में यही देखा है कि पुरुष वर्ग से पहले स्त्री वर्गी एक स्त्री को रोक देती है आगे बढ़ने से। मैंने तो अपने आसपास यह भी देखा है कि जैसे ही किसी गर्भवती महिला को पता चलता है कि उसके पेट में आने वाला बच्चा एक बच्ची है उस महिला को उसी दिन से आपत्ति महसूस होने लगती है ऐसा तो बहुत ग़लत है| अगर एक माँ को ऐसा महसूस होता है कि उसके कोख में एक लड़की है तो ,अगर उसे ग़लत महसूस होता है कि वह एक लड़की को जन्म दे रही है | हमें लगता है कि हम जिम्मेदारियों से घिरने वाले हैं हमें लगता है कि हमारे जीवन में जिम्मेदारियाँ बोझ बन के आ जाएंगे अगर घर में एक बेटी जन्म लेती है तोह। ऐसी मानसिकता के लोग समाज में कहीं के नहीं होते ,ऐसी गंदी सोच वालों को अपनी सोच बदलने और अपने रवैया को बदलने की ज़रूरत है। क्योंकि संसार तो सिर्फ़ सारी चीजों को एक वर्ग को लेकर चलता है जहाँ पर आसमानता होगी वहाँ तो समाज बनी नहीं सकता।
मैं आप सब से यही कहना चाहती हूँ आज के ब्लॉग में कि अपने आसपास अगर आप ऐसा माहौल देखते हैं कि किसी भी बेटी को अशिक्षित रखा जाता है ,किसी भी बेटी को अपने सपने देखने से रोका जाता है ,या फिर किसी भी बेटी को किसी भी तरीके का कोई भी कष्ट ,उसको अपने जीवन में ऐसा महसूस होता है तो आपको आगे बढ़ना चाहिए और उसकी मदद करनी चाहिए। और उसको अपने जीवन में आगे बढ़ने का प्रोत्साहन देना चाहिए क्योंकि अगर आप किसी लड़की को कष्ट में देखते हुए भी आप उसे ऐसे ही अनदेखा कर दे तो आप भी ऐसे समाज में को पनपने में सहयोग दे रहे हैं जहाँ बेटियों को बराबरी का दर्जा नहीं मिल रहा है आप उनका साथ दे रहे हैं तो यह बहुत ही बड़ा दुर्घटना है। आपको अपनी बेटियों के साथ-साथ अपने बेटों को दोनों को एक साथ लेकर दोनों को एकजुट होकर शिक्षित बनाना पड़ेगा और उनको एक जैसी मानसिकता के साथ आगे बढ़ा करना पड़ेग। दोहरी मानसिकता के साथ अगर आप उनको बड़ा करेंगे तो आने वाले समय में बहुत ही दुख दायक समय आएगा जहाँ पर हम परिवर्तन करना मुश्किल होगा। इसलिए आज से ही आप ठाले बेटियाँ-बेटियाँ घर की आन है ,बान है और शान है ,इसलिए अपनी बेटी को पढ़ाइए और आगे बढ़ाइए। धन्यवाद शुक्रिया। अगले ब्लॉक में मिलेंगे आपके साथ।
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