मेरे अल्फाज

◦•●◉✿  मुश्किल हैं राह लेकिन नामुमकिन नहीं ,ज़िन्दगी मे एक कदम बढ़ा कर के देखो ,मंज़िल तम्हारे कदम चूमेगी ,अकेले होने पे कभी अफ़सोस मत करना ,बस इतना सोच लेना भीड़ मे आगे वही बढ़ता हैं,जो राही चलता चला जाता है । ✿◉●•◦


                                                           

◦•●◉✿ कितने अच्छे थे वो बचपन के दौर,जब आपने चोट पर मिट्टी के मरहम लागा दिया करते थे, 

आज का दौर हैं,जब अपने दर्द बाया करने के लिए शब्द नहीं मिलते, मरहम तोह भूल जाओ जनाब।✿◉●•◦


     ◦•●◉✿  खामोशी में भी गजब की बेबाकी हैं,कुछ नहीं बोलते हुए कितना कुछ बोल जाती है।✿◉●



◦•●◉✿ कोई हस के कहता हैं, मुझे वह छोड़ गयी,

कोई रो के कहता हैं, मुझे वह छोड़ गयी,
पर जिसे वह छोड़ गयी, उसके लफ्ज ही कहा होते हैं कहने के लिए| ✿◉●•◦


◦•●◉✿ मजदूर हैं साहब ,मरहम की जरूरत कहाँ|✿◉●•◦


◦•●◉✿कभी वक्त होगा तो मेरे जनाजे पर जरूर आना, मौका भी होगा दस्तूर भी होगा, बस अगर कोई नहीं होगा तो वह सिर्फ मैं, आंसू की एक झलक अपनी आंखों से ना गिराना ,क्योंकि जनाजा तो मेरा उठा है, तुम्हारा तो दुनिया मेरे जाने पर बसा है।|✿◉●•◦


◦•●◉✿तनी खामोशी थी मेरे लफ्ज़ों में कि मैं दबे पांव चली आई ,पलट के ना देखा उसने मुझे एक बार और ,जब देखा तो मैं उसे आसमान में नजर आईं।✿◉●•◦


◦•●◉✿मिल गया जो उसे मुकद्दर बना लिया और जो ना
मिला वो ख्वाब रह गया ✿◉●•◦

◦•●◉✿मेरी अर्जी और तुम्हारी मर्जी कभी एक ना हो सकी ✿◉●•◦